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ख़ुद न आया करो तो बुलाया करो

आज दिनांक १९.१०.२३ को प्रदत्त स्वैच्छिक विषय पर प्रतियोगिता वास्ते मेरी प्रस्तुति:
ख़ुद न आया करो तो बुलाया करो :
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कितने वादे हुए तेरे झूठे बालम 
यूं दिलासा न खाली दिलाया कऱो,
गुज़री है ज़िन्दगी अपनी सदा तन्हा,
 तुम ख़्वाबों मे खुशियां न दिखाया करो

तन्हा ज़िन्दगी की इबारत-ए-दिल,
न समझोगे तुम न बताया करो,
जो क़िस्मत मे अपनी तबाही लिखी,
तुम ख़्यालों मे भी अब न आया करो।

फ़क़त चन्द सांसें ही बाक़ी हैं अब,
तुम यादों मे आ कर न रुलाया करो,
हैं दुआ ख़ुदा से बस यही मेरी,
तुम सलामत रहो, खुशियां लुटाया करो।

सलामती की सबको तुम देना,
मुझको पर शामिल दुआओं मे किया न करो।

आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़

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9 Comments

Mohammed urooj khan

21-Oct-2023 11:32 AM

👍👍👍👍

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madhura

20-Oct-2023 11:33 AM

V nice

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बहुत ही सुंदर और बेहतरीन अभिव्यक्ति

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